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नजूल संपत्ति विधयक : 2024 क्या है ? : उत्तर प्रदेश सरकार

      नजूल संपति विधयक : 2024




चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश विधान सभा में  नजूल संपति ( सार्वजनिक उद्देश्य के लिए प्रबंधन और उपयोग ) विधयक पेश किया, जो विधान सभा में तो पारित हो गया लेकिन विधान परिषद (उच्च सदन) में अभी पारित नहीं हुआ है l दरअसल उच्च सदन में पहुंचने से पहले इस विधयक को प्रवर समिति को विचार करने के लिए भेज दिया गया है। प्रवर समिति को इस पर दो महीनों में जवाब देना। इस विधयक को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने अपने तर्क और विचार रखें हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार के भी कुछ विधायक इस विधयक पर सहमत नहीं हैं जिससे ये और भी बड़ा बहस का मुद्दा बन गया है।


नजूल संपत्ति क्या है ?


 नजूल संपत्ति विधयक का उद्देश्य नजूल भूमि की रक्षा करना बताया गया है। दरअसल नजूल संपत्ति का तात्पर्य ऐसी भूमि या संपत्ति भवन से है, जो सरकारी दस्तावेज के आधार पर सरकार की संपत्ति है। शहरों या गावों में स्थित ऐसी सभी संपत्तियां जो राज्य सराकर की हैं नजूल संपत्ति कहलाती हैं। इनमें वे सभी संपत्तियां शामिल हैं जिनके लिए सरकार अधिसूचना द्वारा घोषित किसी कानून के तहत पट्टा, लाइसेंस या कब्जा दिया गया है।



क्या हैं नजूल संपत्ति विधयक : 2024  के प्रमुख प्रावधान?


• विधयक लागू होने के बाद नजूल संपत्ति या भूमि को किसी भी निजी व्यक्ति या निजी संस्था को पूरा मालिकाना हक नहीं दिया जायेगा। इसके बजाए इस भूमि या सम्पत्ति का इस्तेमाल सरकार अपने सार्वजानिक उद्देश्य के लिए कर सकती है।


• विधयक में यह भी प्रावधान है कि नजूल भूमि को निजी व्यक्ति या संस्था को हस्तांतरित करने के लिए कोई भी अदालती कार्रवाई या आवेदन रद्द कर दिया जायेगा। और यह सुनिश्चित होगा कि ये भूमि सरकारी नियंत्रण में ही रहे। अगर इस संबंध में कोई  राशि जमा की गई है तो उसे जमा किए जाने की तारीख से  SBI बैंक  की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ट लैंडिंग रेट की ब्याज दर पर धनराशि वापस की जायेगी। 


• यह विधयक सरकार को मौजूदा उन पट्टेदारों के लिए पट्टे को बड़ाने का अधिकार देता है जो नियमित तौर पर किराया देते हैं और पट्टे की शर्तों का पालन करते हैं। ये पट्टेदार इस संपत्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन इसे सार्वजनिक भूमि या संपत्ति के रूप में  रखा जा सकता है।


• विधयक का उद्देश्य नजूल संपत्ति को सुव्यवस्थित करना और अनाधिकृत नियंत्रण को रोकना है।


विधयक से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य:


• विधयक को इससे पहले अध्यादेश के रूप में भी 7 मार्च को जारी किया जा चुका है ।


• 31 जुलाई को इसे कैबिनेट की मंजूरी मिली इसी दिन इसे विधान सभा में पेस किया गया और पारित किया गया।


• 1 अगस्त को इसे विधान परिषद में पेश किया गया जहां इसे प्रवर समिति को भेजने पर सहम सहमति बनी।


• प्रवर समिति को इस पर दो महीनों के भीतर विचार करके जबाब देना है।




निष्कर्ष:

नजूल संपत्ति विधयक के प्रावधानों को देखते हुए ऐसा नहीं लगता की इस विधयक को किसी गलत मनसा से लाया जा रहा है, लेकिन यह विधयक राज्य की जनता के व्यापक हितों को प्रभावित करता है। इस लिए इस पर गहराई से विचार विमर्श करने की आवश्यकता है। साथ ही पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों को सुनकर उनके सुझावों को ध्यान में रखकर इसमें जो भी संशोधन हो उनको करने पर विचार किया जाए। सर्वसहमति से जन हित को ध्यान में रखकर इसे पुन: लाया जा सकता है।




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